दिवाली के दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश जी के पूजा का विधान है। यह एक ऐसा त्योहार जिसका इंतजार हमें सालभर से रहता है। हिन्दू धर्म में दिवाली के अवसर पर सभी लोग अपने घरों की साफ-सफाई करके दीपोत्सव का त्योहार दिवाली बड़े धूमधाम से मनाते हैं और लक्ष्मी पूजन (laxmi poojan) करते हैं। दिवाली के दिन लक्ष्मी जी का पूजा विधि-विधान करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और मां का कृपा बनी रहती है।
दिवाली पूजा शुभ मुहूर्त 2022 (Diwali Puja Muhurat)
इस वर्ष दिवाली का त्योहार 24 अक्टूबर दिन सोमवार को मनाया जाएगा। इस दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त (laxmi poojan shubh muhurat) रात 6 बजकर 53 मिनट से रात 8 बजकर 16 मिनट तक है।
आपको बता दें, दिवाली के दिन प्रदोष काल यानी की संध्या के समय मां लक्ष्मी की पूजा (laxmi puja) का उत्तम समय होता है। इसके साथ ही वृषभ काल को स्थिर लग्न माना जाता है, इसीलिए इस समय भी पूजा करना शुभ फलदायी होता है।
- लक्ष्मी पूजा का सामान्य मुहूर्त- 06:53 PM से 08:16 PM
- प्रदोष काल- 05:43 PM से 08:16 PM
- वृषभ काल- 06:53 PM से 08:48 PM
दिवाली पूजन सामग्री
एक चौकी, लाल कपड़ा, भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या फोटो, अक्षत यानी साबुत चावल के दानें जो टूटे न हों, कुमकुम, हल्दी, दूर्वा, सुपारी, लौंग, इलायची, एक तांबे या पीतल का कलश, आम के पत्ते, पान के पत्ते, मौली, दो नारियल, 2 बड़े दीपक, 11 छोटे दीपक, घी, सरसों का तेल, दीये की बाती, धूप, अगरबत्ती, जल पात्र, गंगाजल, पुष्प, कमल का फूल, मीठे बताशे, खील, मिठाई, फल, पकवान, मेवे।
आपको बता दें, लक्ष्मी पूजा (laxmi poojan) में कई जगह कमलगट्टे, कौड़ी और धनिया चढ़ाने की भी परंपरा है, तो अगर आप चाहें तो यह सामग्री चढ़ा सकते हैं।
लक्ष्मी पूजा की तैयारियां
- जहां पूजा करनी है, उस जगह को साफ करें।
- ज़मीन पर आटे या चावल से चौक बनाएं।
- आपसे चौक न बनें तो केवल कुमकुम से स्वास्तिक बना लें या कुछ दाने अक्षत के रख दें।
- इसपर अब एक चौकी रखें, उसपर लाल कपड़ा बिछाएं।
- अक्षत का आसन देते हुए, माता लक्ष्मी और गणेश को विराजमान करें।
- लक्ष्मी जी को गणेश जी के दाहिने ओर ही स्थापित करें और दोनों प्रतिमाओं का मुख पूर्व या पश्चिम दिशा में ही रखें।
- अब हम दोनों प्रतिमाओं के आगे थोड़े रुपए, गहने और चांदी के सिक्के रखें। चांदी के सिक्के देवता कुबेर का स्वरूप होते हैं, अगर यह आपके पास उपलब्ध न हों तो आप कुबेर जी का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित कर सकते हैं।
- लक्ष्मी जी के दाहिनी तरफ अक्षत से अष्टदल यानी 8 पखुंडियों वाला एक पुष्प बनाएं।
- जल से भरे कलश को उसपर रख दें, इसके अंदर गंगा जल, हल्दी, कुमकुम, अक्षत, दूर्वा, सुपारी, लौंग और इलायची का जोड़ा डालें।
- अगर आपके पास यह सब सामग्री नहीं है तो केवल शुद्ध जल, अक्षत, हल्दी और कुमकुम भी डाल सकते हैं। कलश पर हम कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं।
- साथ ही आम के पत्तों पर भी हल्दी-कुमकुम लगाएं।
- इस कलश में आम के पत्ते भी डालें और उसके ऊपर नारियल पर मौली बांधकर रख दें।
- चौकी के सामने अन्य सामग्री भी लगा कर रख दें।
- आप दो बड़े चौमुखी घी के दीपक रख लें और 11 दीयों में सरसों का तेल डालें।
आप शुभ मुहूर्त से पहले स्नान कर लें और नए वस्त्र पहन लें। शुभ मुहूर्त शाम में 6 बजकर 53 मिनट से रात में 8 बजकर 16 मिनट के पहले पहले तक पूजा संपन्न कर लें।
इस शुभ मुहूर्त में पूजा स्थल पर चौकी के सामने अपने सभी परिवार के सदस्यों के साथ आसन ग्रहण कर लें।
लक्ष्मी पूजा विधि (Laxmi Puja Vidhi)
- इसके बाद, जल पात्र में एक पुष्प को डुबोकर, सभी देवी-देवताओं पर छिड़कें।
- आचमन के लिए आप इस तरह बाएं हाथ से दाएं हाथ में जल लें और दोनों हाथों को साफ करें।
- अब तीन बार यह जल स्वयं ग्रहण करें और साथ ही इन मंत्रों का उच्चारण करें-
ॐ केशवाय नमःॐ नारायणाय नमःॐ माधवाय नमः
- इसके बाद फिर से हाथ धो लें।
- दोनों घी के बड़े दीपकों की गणेश जी और लक्ष्मी जी के सामने प्रज्वलित करें
- एक तेल का दीपक कलश के समक्ष जलाएं।
- एक दीपक आप पितरों के नाम से पूजा में जला लें।
- अब दीपक के साथ धूप और अगरबत्ती भी जलाकर, भगवान जी को दिखाएं।
- अब हाथ में पुष्प लेकर, अपनी आंखें बंद करें और इस मंत्र के साथ गणेश जी का आवाहन करें-
ऊँ गं गणपतये नमः।
- इसके बाद माता लक्ष्मी का आवाहन करते हुए, इस मंत्र का उच्चारण करें- ऊँ महालक्ष्म्यै नमः।
- भगवान गणेश, माता लक्ष्मी, कुबेर जी, कलश और दीपक को एक-एक करके पुष्प अर्पित करें।
- अब माता लक्ष्मी को हम वस्त्र रूपी मौली अर्पित करें और गणेश जी को जनेऊ अर्पित करें।
- कुमकुम से दोनों प्रतिमाओं को तिलक करें। साथ ही चांदी के सिक्कों और गहनों को तिलक लगाएं।
- अब भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के चरणों में अक्षत अर्पित करें।
- ऐसा करने के बाद हम कमल का फूल और कमल गट्टे भी भगवान जी को चढ़ाएंगे।
- माता लक्ष्मी को नारियल अर्पित करें।
- अब दो लौंग, दो इलायची, और सुपारी, पान के पत्ते पर रखकर भगवान गणेश और माँ लक्ष्मी के सामने रख दें।
- अब बारी है भगवान जी को भोग अर्पित करने की, इसके लिए हम भगवान को खील और चीनी के बताशों का भोग लगाएंगे। भोग में आप मिठाई, फल और पकवान भी चढ़ा सकते हैं।
- भोग के बाद चम्मच से चारों ओर जल घुमाएं और नीचे गिरा दें।
- अब भगवान की आरती उतारते हुए भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती गाएं।
- आरती के बाद, हाथ में पुष्प और अक्षत लें ले और ईश्वर से यह प्रार्थना करें कि, “आप हमारी पूजा स्वीकार करना, और हमें जीवन में सुख-समृद्धि और सद्बुद्धि प्रदान करना।
- साथ ही पूजा अब हम पूजा में हुई, किसी भी गलती के लिए मांफी मांगे, अगर हमसे इस पूजा में कोई भी भूल-चूक हुई हो तो हमें क्षमा करें।
- इसके बाद, यह पुष्प और अक्षत भगवान के चरणों में छोड़ दें।
- अंत में सबको आरती दें और भोग को प्रसाद के रूप में वितरित करें। अपने घर में बड़े लोगों का आशीर्वाद ज़रूर लें। बचे हुए दीयों को घर के विभिन्न स्थानों पर रख दें।
- ध्यान रहे, दीयों का मुख बाहर की तरफ होना चाहिए।
- इस प्रकार हमारी पूजा संपन्न हुई। भगवान आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें,
गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
मां लक्ष्मी जी की आरती
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग माता।
सूर्य चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
दुर्गा रूप निरंजनी, सुख-संपति दाता।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम ही पाताल निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भव निधि की त्राता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
जिस घर तुम रहती हो, तांहि में हैं सद्गुण आता।
सब संभव हो जाता, मन नहीं घबराता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता॥
॥ॐ जय लक्ष्मी माता…॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।